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डॉ नीरज श्रीवास्तव की काव्य-कृति नर्मदा के मेघ

डॉ नीरज श्रीवास्तव की काव्य-कृति नर्मदा के मेघ


डॉ. नीरज श्रीवास्तव द्वारा रचित काव्य-कृति “नर्मदा के मेघ” माँ नर्मदा की महिमा और अमरकंटक की नैसर्गिक सुषमा को समर्पित एक भावपूर्ण अभिव्यक्ति है। यह रचना 9 सर्गों में विभाजित है, जिसमें नर्मदा नदी के धार्मिक, पौराणिक, और सांस्कृतिक महत्व को विस्तार से दर्शाया गया है।
डॉ. श्रीवास्तव ने स्कंद पुराण के रेवाखंड और अन्य धार्मिक ग्रंथों के संदर्भों का उपयोग करते हुए नर्मदा की पवित्रता और महत्व को उजागर किया है। उनके अनुसार, नर्मदा केवल एक नदी नहीं, बल्कि भगवान शिव की पुत्री हैं, जिनका हर कंकर शिवस्वरूप है। यह मान्यता उनके काव्य में श्रद्धा और भक्ति के साथ व्यक्त हुई है।
काव्य-कृति के मुख्य बिंदु
1. माँ नर्मदा की महिमा
रचना में वेद, पुराण, महाकाव्य, और धर्मशास्त्रों के उद्धरणों के माध्यम से नर्मदा के पौराणिक और धार्मिक महत्व को रेखांकित किया गया है।
स्कंद पुराण के रेवाखंड और मत्स्य पुराण के श्लोकों का उल्लेख नर्मदा की पुण्यता को दर्शाता है।
नर्मदा के दर्शन मात्र से गंगा और यमुना में स्नान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
2. अमरकंटक की प्राकृतिक सुषमा
अमरकंटक, नर्मदा का उद्गम स्थल, प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों की तपस्थली रहा है। वर्षा ऋतु में अमरकंटक की वादियों में उतरते स्वर्णिम और रुपहले मेघ, हरियाली, और वाष्पमय तुषार की छटा को काव्य में अद्भुत रूप से चित्रित किया गया है।
3. शिव और नर्मदा का संबंध
नर्मदा को भगवान शिव की ‘इला’ कला कहा गया है, जो संसार सागर से तारने वाली और पापों का नाश करने वाली हैं। काव्य में भगवान शिव और नर्मदा की पौराणिक कथाओं को कवि ने हृदयस्पर्शी रूप से प्रस्तुत किया है।
4. काव्य संरचना
यह कृति 9 सर्गों में विभाजित है

मातु नर्मदा

मेघ-दर्शन

प्रकृति-दर्शन

मेघ-मिलन

नर्मदा-दर्शन

जन-दर्शन

शैव-दर्शन

कालजयी-मेघ

मेघ-संदेश
कवि का व्यक्तिगत जुड़ाव
डॉ. श्रीवास्तव ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनके गुरुदेव स्वामी उद्धवानंद जी की प्रेरणा से उन्होंने कपिलधारा से शिवस्वरूप शिला की प्राण-प्रतिष्ठा कर भगवान शिव की आराधना की। उनकी रचना नर्मदा मैया के प्रति भक्तिभाव का प्रतीक है।
नर्मदा का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
कवि ने शतपथ ब्राह्मण, रामायण, महाभारत, और जयशंकर प्रसाद की ‘कामायनी’ का उल्लेख करते हुए नर्मदा के महत्व को दर्शाया है। वे कहते हैं कि नर्मदा के हर कंकर में शिव का वास है, और यह नदी पूरे भारत के धार्मिक वाग्यमय का अभिन्न हिस्सा है।
काव्य-कृति का उद्देश्य
डॉ. श्रीवास्तव का कहना है कि “नर्मदा के मेघ” उनकी श्रद्धा और प्रकृति प्रेम का प्रतीक है। यह रचना नर्मदा की महिमा को जन-जन तक पहुंचाने और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराने का प्रयास है।
नर्मदा पुराण के माध्यम से नर्मदा का विशेष महत्त्व।
कपिलधारा में शिव स्वरूप शिलाओं की प्राण-प्रतिष्ठा।
अमरकंटक की वर्षा ऋतु की सौंदर्य छटा।
डॉ. नीरज श्रीवास्तव की यह काव्य-कृति नर्मदा नदी के प्रति न केवल एक भावनात्मक श्रद्धांजलि है, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म, और प्रकृति प्रेम का एक अद्भुत संगम भी है। यह रचना नर्मदा के पवित्र जल और अमरकंटक की हरीतिमा से प्रेरित है, जो पाठकों के हृदय को स्पर्श करने में सफल होगी।. नीरज श्रीवास्तव की काव्य-कृति ‘नर्मदा के मेघ’ माँ नर्मदा के प्रति अद्वितीय श्रद्धा और प्रकृति का अनुपम उदाहरण है।

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