मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा प्रदेश में हाथियों की मौत पर सख्त कार्रवाई के आदेश ने वन विभाग में हलचल मचा दी है। हाल ही में प्रदेश के वन क्षेत्रों में हाथियों की लगातार मौतों के मामले सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ने इस पर विशेष संज्ञान लिया है। उनकी ओर से इन घटनाओं की गहराई से जांच करवाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया। मुख्यमंत्री ने फील्ड डायरेक्टर गौरव चौधरी और सहायक वन संरक्षक फते सिंह पर कार्य में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए दोनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
हाल ही में प्रदेश के विभिन्न वन्य क्षेत्र में हाथियों की कई मौतें दर्ज की गई हैं। ये घटनाएँ न केवल चिंताजनक हैं, बल्कि वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में हुई चूकों और संभावित प्रशासनिक विफलताओं की ओर भी संकेत करती हैं। हाथियों की मौत के पीछे का कारण जहरीले पदार्थों का सेवन, बिजली के तारों का संपर्क, और पानी व भोजन की कमी जैसे मुद्दों को माना जा रहा है। इस मुद्दे पर हो रही आलोचना और जनता की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
मुख्यमंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग में कार्यरत प्रमुख अधिकारियों से जवाब-तलब किया और उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके साथ ही, उन्होंने घटनास्थल पर स्थित सभी वन संरक्षकों, फील्ड डायरेक्टरों और अन्य कर्मचारियों को फौरन कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रदेश की वन्य संपदा और वन्यजीव संरक्षण को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी।
मुख्यमंत्री द्वारा निलंबित किए गए अधिकारियों – फील्ड डायरेक्टर गौरव चौधरी और सहायक वन संरक्षक फते सिंह – पर आरोप है कि वे अपनी जिम्मेदारियों का पालन करने में असफल रहे हैं। वे हाथियों के संरक्षण और उनके लिए जरूरी सुरक्षा उपायों में कमी बरतते पाए गए हैं। इन अधिकारियों पर यह भी आरोप है कि उन्होंने संभावित खतरों को नजरअंदाज किया और समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की। निलंबन का मकसद न केवल उनके खिलाफ कार्रवाई करना है, बल्कि यह बाकी अधिकारियों को भी चेतावनी देना है कि वे अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाएं।
मुख्यमंत्री ने हाथियों की मौतों के मामलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए वन विभाग में सुधार की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाने का निर्णय लिया है। उन्होंने वन्य जीव संरक्षण और प्रबंधन में सुधार के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित करने के निर्देश दिए हैं। इस टीम को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदेश के वन्य क्षेत्रों में किसी भी वन्य जीव की सुरक्षा में चूक न हो। इसके अलावा, उन्होंने वन क्षेत्रों में पेट्रोलिंग बढ़ाने, सुरक्षा उपायों को सख्त करने और पानी, भोजन, और चिकित्सा सुविधाओं की समीक्षा करने के भी आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेश में वन्य जीवों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है, और इसके लिए वे किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यह घटना वन्यजीवों के प्रति प्रशासनिक जिम्मेदारी और कर्तव्यनिष्ठा की कमी को उजागर करती है, और वह इसे सुधारने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।
मुख्यमंत्री के इस कदम से प्रदेश की जनता और पर्यावरणविदों के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा रही है। वन्य जीव संरक्षण में उनकी इस सख्त नीति को एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। जनता ने मुख्यमंत्री के इस कदम का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि इससे प्रदेश में वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन में सुधार आएगा।
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