मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ली आपातकालीन बैठक….
मुख्य सचिव अनुराग जैन वर्चुअल रूप से हुए शामिल…
मुख्यमंत्री निवास में अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय डॉ राजेश राजौरा, अपर मुख्य सचिव वन अशोक वर्णवाल एवं अन्य अधिकारी उपस्थित ।
मुख्यमंत्री डॉ यादव ने हाथियों की मृत्यु के संबंध में जानकारी लेकर दिए निर्देश
मुख्यमंत्री डॉक्टर यादव ने घटना की संपूर्ण पहलुओं की जानकारी प्राप्त करने के लिए उच्चस्तरीय
दल भेजने के निर्देश दिए..
मुख्यमंत्री डॉ यादव को बैठक में बताया गया कि एक्सपर्ट ने बताया है कि हाथियों की मृत्यु के संबंध में की गई जांच की रिपोर्ट आने में चार दिन लगेंगे.
इस अवधि में घटना से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर जांच की कार्रवाई जारी है।
वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार और दो वरिष्ठ अधिकारी जाएंगे।
वन राज्य मंत्री के साथ अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल और राज्य वन बल प्रमुख पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव जायेंगे उमरिया..
24 घंटे में सौंपेंगे प्रतिवेदन
दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध की जाएगी सख्त कार्रवाई
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा गठित टीम का उद्देश्य बांधवगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट में हाल ही में हुई हाथियों की मौत की घटनाओं की जाँच करना है। यह घटना न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों पर भी प्रभाव डालती है। यहाँ इस टीम की संभावित कार्यप्रणाली और प्रमुख बिंदुओं का विवरण दिया गया है
टीम की संरचना
टीम में शामिल प्रमुख सदस्यों में हैं
वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार: जो इस मामले की राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से निगरानी करेंगे।
अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णवाल: जो वन विभाग की नीतियों और प्रक्रियाओं को समझते हैं।
राज्य वन बल के प्रमुख पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव: जो वन्य जीव संरक्षण में विशेषज्ञता रखते हैं।
जांच के प्रमुख बिंदु
टीम को निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए निर्देशित किया गया है मौत के कारणों का निर्धारण:
हाथियों की मौत के कारणों की गहन जांच करना, जिसमें बीमारी, खाद्य सामग्री, पानी की गुणवत्ता, और अन्य संभावित कारक शामिल हैं।
अंग तस्करी की संभावनाएँ
यह पता लगाना कि क्या अंग तस्करी का कोई संबंध हाथियों की मौत से है। इसमें स्थानीय समुदायों और वन्यजीव संरक्षण अधिकारियों से जानकारी इकट्ठा करना शामिल है।
जांच करना कि क्या पर्यावरणीय परिवर्तन, जैसे जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, या अन्य मानव गतिविधियों ने हाथियों की आबादी को प्रभावित किया है।
पेय जल और आहार का मूल्यांकन
यह सुनिश्चित करना कि हाथियों के लिए उपलब्ध जल स्रोत और आहार की गुणवत्ता उचित है। यदि जल या आहार में कोई कमी है, तो उसका कारण ढूंढना।
स्थानीय क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण के स्तर की जांच करना और यह सुनिश्चित करना कि शोर स्तर हाथियों के व्यवहार पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डाल रहा है
स्थानीय निवासियों से बातचीत करना, ताकि उनकी राय और अनुभवों को समझा जा सके। यह जानकारी जांच में सहायक होगा ।
यदि जांच में कोई दोषी पाया जाता है, तो सख्त कार्रवाई की सिफारिश करना, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की टीम का यह प्रयास न केवल हाथियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि यह मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाने में भी सहायक होगा। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि हाथियों के लिए एक सुरक्षित और स्वास्थ्यप्रद पर्यावरण बना रहे, ताकि वे अपनी प्राकृतिक जीवन शैली में लौट सकें। टीम की रिपोर्ट से न केवल हाथियों के संरक्षण में मदद मिलेगी,।
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