अनूपपुर जिले में श्रीमती कुसुम देवी शुक्ला की कहानी किसी भी बुजुर्ग की उम्मीद और संघर्ष का प्रतीक है। श्रीमती कुसुम देवी के पति, स्वर्गीय सुरेंद्र कुमार शुक्ला, शिक्षक के पद पर कार्यरत थे, और उनके निधन के बाद श्रीमती कुसुम को अपने जीवनयापन के लिए पेंशन की आवश्यकता थी। हालांकि, बीते चार साल से उनकी पेंशन का भुगतान नहीं हो पा रहा था। कारण था – स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की जमुना कालरी शाखा द्वारा पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) का गुम हो जाना।
बिना पेंशन के जीते हुए चार साल का समय उनके और उनके परिवार के लिए आर्थिक और मानसिक रूप से बेहद कठिन रहा। पेंशन के लिए उन्होंने बार-बार प्रयास किए, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। ऐसे समय में, जब उनकी परेशानियां लगातार बढ़ रही थीं, उन्होंने अपनी आखिरी उम्मीद के तौर पर कलेक्टर हर्षल पंचोली को जनसुनवाई में आवेदन दिया।
When Collector Harshal Pancholi understood their pain, तो तत्काल ही इस मामले की गहन जांच कराई। जांच में पता चला कि पीपीओ गुम हो जाने के कारण उन्हें पेंशन का भुगतान नहीं हो पाया था। संवेदनशीलता और तत्परता के साथ कलेक्टर ने जिला पेंशन अधिकारी आर.एस. मरकाम को निर्देश दिया कि तुरंत गुम हुए पीपीओ की दूसरी प्रति बनवाकर संचालक पेंशन कार्यालय भेजा जाए। जिला प्रशासन की इस फुर्ती से संचालक पेंशन कार्यालय ने दूसरी प्रति जारी कर दी, और आखिरकार श्रीमती कुसुम देवी को जनवरी 2020 से सितंबर 2024 तक की पेंशन, एरिया सहित, मिल गई।
जब श्रीमती कुसुम देवी को चार साल के लंबे इंतजार के बाद पेंशन मिली, तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। उनके लिए यह न केवल आर्थिक मदद थी, बल्कि एक सम्मान और समर्थन का प्रतीक भी था। उन्होंने कलेक्टर हर्षल पंचोली और उनकी टीम को धन्यवाद देते हुए कहा, “जिले में यदि हर अधिकारी इसी संवेदनशीलता के साथ काम करे, तो हम जैसे बुजुर्गों की समस्याओं का समाधान जल्दी हो सकता है।”
यह घटना इस बात का प्रमाण है कि अगर प्रशासनिक अधिकारियों में संवेदनशीलता और तत्परता हो, तो आम जनता की समस्याओं का समाधान आसानी से किया जा सकता है।
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Kailash Pandey
Anuppur (M.P.)
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