भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि बच्चों के यौन शोषण से संबंधित सामग्री को संग्रहीत करना और देखना पॉस्को अधिनियम के तहत अपराध है।






मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि बच्चों के यौन शोषण से संबंधित सामग्री को डाउनलोड करना और निजी तौर पर देखना पॉस्को अधिनियम के तहत अपराध नहीं है।

इसके अलावा, अदालत ने निर्देश दिया है कि अब से बच्चों के यौन शोषण से संबंधित सामग्री को “बाल यौन शोषण सामग्री” (सीएसईएएम) कहा जाएगा, न कि “बाल पोर्नोग्राफी”। यह फैसला बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके यौन शोषण के खिलाफ लड़ने में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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