
जब बंदूकें नहीं, नीति बोलती है
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जो बहुआयामी प्रतिबंध लगाए हैं, वे केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि रणनीतिक मोर्चे पर मास्टरस्ट्रोक हैं। बिना एक भी गोली चलाए, भारत ने पाकिस्तान को कूटनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक रूप से घेर लिया है।
वीज़ा प्रतिबंध दिलों की दूरी, रिश्तों की रुकावट
भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सभी प्रकार की वीज़ा सेवाओं को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है। इसके पारिवारिक यह उनके लिए जो शादी पाकिस्तान में की और रहते भारत में हैं और पाकिस्तान की नागरिकता नहीं ली जिसके सामाजिक प्रभाव सामने आ रहे हैं ।
रिश्तेदारों की मुलाक़ातें बंद दोनों देशों में रहने वाले परिवार बिछड़ गए हैं। कई बुज़ुर्ग अंतिम बार अपने बच्चों को देखने के इंतजार में हैं। जो अब संभव नहीं है।
शिक्षा संकट भारत में पढ़ाई कर रहे पाकिस्तानी छात्रों के वीज़ा रद्द होने से उनकी डिग्रियां अधूरी रह गई हैं।
चिकित्सा रुकावट भारत के उच्चस्तरीय अस्पतालों में इलाज कराने आने वाले पाकिस्तानी मरीज अब जीवनरक्षक उपचार भारत मे नहीं करवा पा रहे हैं।
व्यापार बंद उद्योगों पर ताला, बाज़ार में हाहाकार
भारत-पाकिस्तान के बीच सीमित व्यापार भी अब पूरी तरह बंद है। इसका असर सीधे पाकिस्तान की औद्योगिक उत्पादन क्षमता और आम नागरिकों की जेब पर पड़ा है।
दवाइयों की कमी भारत से आने वाली सस्ती और असरदार जेनेरिक दवाइयां अब उपलब्ध नहीं हैं। स्थानीय बाज़ार महंगे विकल्पों से परेशान हैं।
मशीनरी और केमिकल ठप भारतीय मशीनरी और रसायनों की आपूर्ति बंद होने से पाकिस्तानी उद्योगों में उत्पादन बाधित हुआ है।
महंगाई का विस्फोट खाने-पीने की चीज़ों, वस्त्र, और घरेलू सामान की कीमतें आसमान पर हैं।
जल प्रतिबंध खेत सूखे, फसलें मुरझाईं
भारत ने सिंधु जल संधि के तहत अपने जल संसाधनों के प्रयोग को प्राथमिकता देते हुए पश्चिमी नदियों (झेलम, चेनाब) पर नए प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। इससे पाकिस्तान के पंजाब, सिंध में पानी की भारी किल्लत हो गई है।
कृषि संकट गेहूं, चावल, और कपास की फसलें सूख रही हैं। किसान आत्महत्या की कगार पर हैं।
खाद्य संकट खाद्यान्न की आपूर्ति घटने से देश में भूख और कुपोषण बढ़ने की आशंका है।
राजनीतिक अस्थिरता शाहबाज की कुर्सी डगमगाई
आर्थिक व सामाजिक संकट के बीच पाकिस्तान की सत्ता में विरोध और विद्रोह के स्वर तेज हो गए हैं
बलूचिस्तान और सिंध में आंदोलन तेज CPEC से प्रभावित इलाकों में अलगाववादी आंदोलन को जनसमर्थन मिल रहा है।
सेना बनाम लोकतंत्र सेना के बढ़ते हस्तक्षेप से आम जनता और लोकतांत्रिक ढांचे में टकराव बढ़ रहा है।
भारत की कूटनीतिक विजय बिना युद्ध के जीत
इन प्रतिबंधों ने भारत को एक ऐसा कूटनीतिक लाभ दिलाया है जो पारंपरिक युद्ध से भी संभव नहीं था। भारत ने यह साबित किया कि आज की भू-राजनीति में नीति और दबाव के माध्यम से शांति की रक्षा और आत्मरक्षा दोनों संभव हैं।
पाकिस्तान के लिए अलार्म, भारत के लिए उपलब्धि
भारत के प्रतिबंध यदि जारी रहते हैं, तो पाकिस्तान को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से पुनरुत्थान के लिए दशकों लग सकते हैं। वहीं भारत ने दुनिया को यह संदेश दे दिया है – “भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं करता, रणनीति बनाता है।”
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