
भारत का ऐतिहासिक निर्णय आतंकी हमलों को अब ‘युद्ध की कार्रवाई’ माना जाएगा, मिलेगा कड़ा जवाब
भारत ने एक ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाया है, जिससे वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति और रुख और भी स्पष्ट हो गया है। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे, के बाद भारत सरकार ने यह घोषणा की है कि अब देश के विरुद्ध कोई भी आतंकी हमला “युद्ध की कार्रवाई” मानी जाएगी। इसका सीधा मतलब है कि भारत उस हमले का जवाब एक युद्ध जैसे स्तर पर देगा। यह नीति भारत की विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और वैश्विक मंच पर सशक्त छवि को दर्शाती है।
भारत सरकार के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अब किसी भी आतंकी कार्रवाई को देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ सीधी सैन्य चुनौती माना जाएगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक आपात उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक की, जिसमें यह फैसला लिया गया।
यह निर्णय स्पष्ट रूप से पाकिस्तान जैसे देशों को सख्त चेतावनी है, जो आतंकवाद को समर्थन, प्रशिक्षण और पनाह देने का कार्य करते हैं।
यह नीति भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ (Zero Tolerance) की नीति का सैन्य विस्तार है, जिसका उद्देश्य आतंकी हमलों पर पहले से अधिक तीव्र और निर्णायक जवाब देना है।
विदेश मंत्रालय का बयान
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा
“भारत ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ लगातार दृढ़ और अडिग रुख अपनाया है। अब समय आ गया है कि पूरी दुनिया इस खतरे को गंभीरता से ले और एकजुट हो कर जवाब दे।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अब केवल कूटनीतिक बयान या निंदा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सैन्य स्तर पर जवाब देने को तैयार है।
प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इज़राइल व खाड़ी देशों ने भारत की इस नीति का समर्थन किया है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत ने मांग की है कि आतंकी हमलों को “State-Sponsored War Crimes” की श्रेणी में लाया जाए।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया जैसे Reuters, BBC, Al Jazeera और The Washington Post ने भारत की इस नई नीति को “Game Changer” बताया है।
इस निर्णय का संदेश
1. दुश्मन देशों को कड़ा संदेश
भारत अब हर हमले का जवाब उसी भाषा में देगा, जिस भाषा में हमला हुआ है — यानी शक्ति और सटीकता।
2. सेना को खुली छूट
सीमाओं पर सेना को ‘पहले वार’ (Pre-emptive Strike) के अधिकार दिए गए हैं, जो युद्ध के समय में होते हैं।
3. राजनयिक और सैन्य दबाव दोनों
भारत कूटनीति और सैन्य कार्रवाई दोनों का समान उपयोग करेगा।
भारत का यह ऐतिहासिक कदम बताता है कि वह अब सिर्फ सहन नहीं करेगा, बल्कि उत्तर देगा — तेज, स्पष्ट और निर्णायक रूप से। यह नीति भारत की सख्त सुरक्षा दृष्टिकोण और वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में नेतृत्वकारी भूमिका को सुदृढ़ करती है।
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