
मोहब्बत का खेल
चमचमाती रोशनी में नहाया हुआ भार्गव हॉस्पिटल, बिलासपुर। रिसेप्शन के सामने बैठी कविता कोल, अपनी ड्यूटी में तल्लीन थी। फोन की घंटी बजी, उसने देखा—स्क्रीन पर नाम चमक रहा था अश्वनी कोल। हल्की मुस्कान के साथ उसने फोन उठाया।
“कैसी हो?” अश्वनी की भारी आवाज आई।
“ठीक हूँ, बस काम में बिजी हूँ,” कविता ने धीमे स्वर में कहा।
“फिर वही लड़का तुम्हें परेशान कर रहा है?” अश्वनी का लहजा अचानक सख्त हो गया।
कविता ने थके हुए अंदाज में कहा, “हाँ, रवींद्र खांडे… कब से मेरे पीछे पड़ा है। दोस्ती करने का बहाना बनाकर जबरदस्ती नजदीक आने की कोशिश कर रहा है।”
अश्वनी के अंदर गुस्से की लहर दौड़ पड़ी। उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। मोहब्बत की दीवार में कोई और सेंध लगा रहा था—ये बर्दाश्त नहीं था। उसने ठान लिया, इश्क को बचाने के लिए मौत का खेल खेलना होगा। मौत की साजिश
अश्वनी ने अपने सबसे करीबी साथी 17 वर्षीय किशोर को बुलाया। सुनसान रात, हाथ में मोबाइल और दिमाग में एक ही ख्याल—रवींद्र को रास्ते से हटाना है।
“सुन, इसे बिलासपुर से अनूपपुर बुलाना होगा,” अश्वनी ने कहा।
“कैसे?” किशोर ने सवाल किया।
“दोस्ती का नाटक करेंगे। उसे घुमाने ले चलेंगे… फिर वो हमारे जाल में फँस जाएगा,” अश्वनी की आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
रवींद्र को फोन किया गया। बहाने से उसे अनूपपुर बुलाया गया। वो अकेला नहीं आया—उसका दोस्त संजीत जांगड़े भी साथ था।
जंगल की चीखें
शाम के 6:30 बजे, अनूपपुर रेलवे स्टेशन। हल्की ठंडक के बीच स्टेशन में ट्रेन धड़धड़ाती रही। प्लेटफार्म पर खड़े रवींद्र और संजीत को अश्वनी और उसका साथी बाइक पर लेने आए।
“चलो, तुम्हें एक खूबसूरत जगह दिखाते हैं,” अश्वनी ने मुस्कराते हुए कहा।


रवींद्र और संजीत को भनक तक नहीं थी कि ये मुस्कान मौत का न्यौता थी। बाइक कच्चे रास्तों से होती हुई बरबसपुर के घने जंगलों में जा पहुँची। महुआ के पेड़, चिड़ियों की चहचहाहट और घुप्प अंधेरा… वातावरण में रहस्य घुला हुआ था।
अचानक, अश्वनी ने जेब से लोहे का रुखना (नुकीला औजार) निकाला और बिना चेतावनी दिए रवींद्र के गले पर वार कर दिया।
“आह्ह्ह!” रवींद्र का चीखता हुआ स्वर जंगल में गूँज उठा।
संजीत ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, मगर किशोर ने उसे कसकर पकड़ लिया। खून से लथपथ रवींद्र ज़मीन पर गिर पड़ा, उसकी साँसें तेज़ी से टूटने लगीं। आखिरी नजरों में उसने अपने दोस्त संजीत को देखा—एक अनकहा सवाल उसकी आँखों में था—“क्यों?”
मगर जवाब देने का वक्त किसी के पास नहीं था।दूसरा कत्ल
संजीत सदमे में था। वो वहाँ से भागना चाहता था, मगर अश्वनी और किशोर ने उसे भी बाइक पर बिठाया।
“तुझे भी जाना होगा, वरना तू ये बात सबको बता देगा,” अश्वनी ने ठंडी आवाज़ में कहा।
बाइक अब विजय ग्राउंड, चचाई की तरफ बढ़ रही थी। चारों ओर बांस के पेड़ और घुप्प अंधेरा था।
संजीत ने गिड़गिड़ाकर कहा, “भाई, मुझे मत मारो… मैंने कुछ नहीं देखा… मैं किसी को नहीं बताऊँगा…”
मगर अश्वनी को यकीन नहीं था।
अचानक बाइक रुकी। अश्वनी और किशोर ने संजीत को नीचे घसीटा। फिर वही लोहे का नुकीला हथियार चमका… और फिर से जंगल में एक चीख़ गूँज उठी।
संजीत का शरीर मिट्टी में गिर पड़ा। चारों ओर सिर्फ सन्नाटा था।
पुलिस का शिकंजा
सुबह के 6 बजे, बरबसपुर के जंगल में महुआ बीनने आए आशीष पाठक की नजर खून से लथपथ लाश पर पड़ी। शरीर ठंडा पड़ चुका था। उसने काँपते हुए डायल 100 पर फोन किया।

कुछ ही घंटों में पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुँच गई। एसपी मोती उर रहमान, एएसपी इसरार मंसूरी, एसडीओपी सुमित केरकेट्टा नगर निरीक्षक अरविंद जैन और एफएसएल टीम मौके पर पहुँची। जंगल में हर तरफ खून के धब्बे थे, और लाश की हालत देखकर साफ था कि कत्ल बहुत बेरहमी से किया गया था।
इधर विजय ग्राउंड में भी एक और लाश मिली। पुलिस के लिए यह एक दोहरा हत्याकांड था—इतना बड़ा मामला, और कोई सुराग नहीं।
जांच की गहराइयाँ
पुलिस ने सबसे पहले सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किए। रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और शहर के मुख्य इलाकों में लगे कैमरों से रवींद्र और संजीत का अश्वनी के साथ जाना साफ दिख रहा था।
इसके बाद, मोबाइल लोकेशन ट्रेस की गई। कॉल डिटेल्स में अश्वनी और कविता की लंबी बातचीत मिली।
संदेह की सुई अब अश्वनी पर थी।
पुलिस का वार
पुलिस टीम ने अश्वनी कोल और उसके नाबालिग साथी को धर दबोचा।
पूछताछ में पहले उन्होंने बहाने बनाए, मगर जैसे-जैसे पुलिस ने सबूत सामने रखे, अश्वनी टूट गया। उसने कबूल किया कि प्रेमिका को परेशान करने के कारण उसने रवींद्र को खत्म करने की योजना बनाई।
“संजीत की गलती सिर्फ इतनी थी कि वो गलत समय पर गलत जगह था,” अश्वनी ने बेरुखी से कहा
न्याय की राह
इस फौरन कार्रवाई पर शहडोल जोन के पुलिस महानिरीक्षक अनुराग शर्मा ने पूरी टीम को 30,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की।
पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल हथियार, मोटरसाइकिल और अन्य सबूत जब्त किए। हत्या के आरोप में अश्वनी और उसके नाबालिग साथी को जेल भेज दिया गया।
प्यार जब हद से बढ़ जाए, तो कब जुनून और फिर कत्ल में बदल जाए, कोई नहीं जानता…
अंतिम शब्द
इश्क, जलन, जुनून और बदले की इस कहानी ने दो जिंदगी छीन लीं, एक जिंदगी जेल में बर्बाद होगी और एक लड़की का जीवन हमेशा के लिए खौफनाक हो गया कुल पांच परिवार तबाह हुए ।



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