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भारत की शिक्षा प्रणाली: भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सुधार की आवश्यकता

भारत की शिक्षा प्रणाली: भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सुधार की आवश्यकता


भारत की शिक्षा प्रणाली, जो कभी ज्ञान का केंद्र मानी जाती थी, आज गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है। इनमें से सबसे प्रमुख हैं बेरोजगारी, कौशल की कमी, और शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ता भ्रष्टाचार। यह न केवल छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि देश के विकास को भी बाधित कर रहा है।
आइए जानें कि किस तरह भ्रष्टाचार शिक्षा प्रणाली में गहराई तक जड़ें जमा चुका है और इसके कारण देश के युवा कैसे प्रभावित हो रहे हैं।
1. शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार का प्रभाव  सरकारी धन का दुरुपयोग
शिक्षा क्षेत्र में बड़ी मात्रा में बजट आवंटित होता है, लेकिन इसके बड़े हिस्से का दुरुपयोग हो रहा है।
स्कूलों के लिए मिलने वाली वित्तीय सहायता और संसाधन कई बार भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों की जेबों में चले जाते हैं।
ग्रामीण इलाकों में स्कूल भवनों के निर्माण में अनियमितताएं, किताबों और वर्दी वितरण में हेरफेर आम हो चुका है।
ii. नकली प्रमाण पत्र और डिग्री घोटाले
भारत में नकली डिग्री और फर्जी प्रमाण पत्र का चलन तेजी से बढ़ रहा है।
कई बार कॉलेज प्रशासन और बाहरी दलालों की मिलीभगत से छात्र बिना पढ़ाई किए ही डिग्री प्राप्त कर लेते हैं।
2024 में, लगभग 1.2 लाख फर्जी प्रमाण पत्र जारी होने के मामले सामने आए।
iii. नियुक्ति और परीक्षा में भ्रष्टाचार
शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में घोटाले लगातार उजागर हो रहे हैं।
योग्य उम्मीदवारों की जगह पैसे या सिफारिश के बल पर अयोग्य व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता है।मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले ने पूरे देश को यह दिखाया कि शिक्षा और भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार कितना गहरा है।
2. बेरोजगारी और कौशल की कमी भ्रष्टाचार का परिणाम
i. कौशल विकास योजनाओं में अनियमितता
सरकार द्वारा चलाई जाने वाली कौशल विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार के कारण छात्रों को सही प्रशिक्षण नहीं मिल पाता।
ट्रेनिंग संस्थान केवल कागजों पर प्रशिक्षण आयोजित करते हैं और फंड का दुरुपयोग करते हैं।
छात्रों को प्रमाण पत्र तो मिलते हैं, लेकिन रोजगार के लिए आवश्यक कौशल नहीं।
ii. औद्योगिक सहयोग में कमी
कॉलेज और उद्योगों के बीच समन्वय स्थापित करने में भी भ्रष्टाचार बाधा बन रहा है।
उद्योगों से जुड़ी नई तकनीकों और पाठ्यक्रमों को शामिल करने की जगह पुरानी विधियों पर जोर दिया जाता है।
3. निजी शिक्षा का व्यावसायीकरण भ्रष्टाचार का नया चेहरा
i. भारी फीस और मनमानी शुल्क
निजी स्कूलों और कॉलेजों में फीस संरचना पूरी तरह से अनियमित है।
स्कूल प्रबंधन और संबंधित विभागों के बीच मिलीभगत के कारण नियमों का उल्लंघन कर भारी शुल्क वसूला जाता है।
2014-2018 के बीच प्राथमिक शिक्षा की लागत में 30.7% की वृद्धि हुई, लेकिन गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ।
ii. सीटों की बिक्री
निजी कॉलेजों में मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य पेशेवर पाठ्यक्रमों की सीटें ऊंची कीमतों पर बेची जाती हैं।
2024 में, AICTE (अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद) ने कई निजी संस्थानों में सीट बेचने के मामले पकड़े।
4. ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा पर भ्रष्टाचार का असर
i. शिक्षकों की कमी और घूसखोरी
ग्रामीण इलाकों में शिक्षकों की भारी कमी है।
नियुक्ति प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के कारण योग्य उम्मीदवार इन पदों तक नहीं पहुंच पाते।
ii. छात्रवृत्ति घोटाले
सरकार द्वारा वंचित वर्गों के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति में भी अनियमितताएं पाई गई हैं।
2023 में, बिहार और उत्तर प्रदेश में करीब 500 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा हुआ।
5. शिक्षा में सुधार के लिए कदम
i. पारदर्शिता सुनिश्चित करना
सरकारी योजनाओं और धन के उपयोग में पूरी पारदर्शिता लाई जानी चाहिए।
डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम और ऑडिट प्रक्रिया को मजबूत किया जाना चाहिए।
ii. भ्रष्टाचार विरोधी सख्त कानून
शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और संस्थानों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
फास्ट-ट्रैक अदालतों के माध्यम से ऐसे मामलों का शीघ्र निपटारा होना चाहिए
iii. नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार
शिक्षक भर्ती और परीक्षा प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।
अनियमितताओं को रोकने के लिए कड़ी निगरानी होनी चाहिए।
iv. ग्रामीण शिक्षा को प्राथमिकता
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का विकास और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रावधान किया जाना चाहिए।
v. कौशल विकास पर जोर
कौशल विकास योजनाओं को सख्त निगरानी में लागू किया जाना चाहिए।
छात्रों को रोजगार के लिए तैयार करने के लिए उद्योग और शिक्षा संस्थानों के बीच साझेदारी बढ़ानी चाहिए।
भारत की शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है, बल्कि यह देश की युवा पीढ़ी के सपनों और अवसरों को भी खत्म कर रहा है। यदि जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो हमारी सबसे बड़ी ताकत—युवाओं की जनसंख्या—हमारी सबसे बड़ी कमजोरी बन सकती है।
भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करना और शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना ही एकमात्र समाधान है।

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