अटलजी की दूरदृष्टि पोखरण से लोकसभा तक, एक वोट से हारी सरकार लेकिन भारत को बना गए विश्व शक्ति
स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, न केवल एक राजनेता थे, बल्कि दूरदर्शिता, दृढ़िच्छाशक्ति और साहस का अद्वितीय उदाहरण भी थे। उनके कार्यकाल में हुए निर्णय, जैसे पोखरण परमाणु परीक्षण और लोकसभा में शक्ति परीक्षण, भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं। ये घटनाएं न केवल उनके नेतृत्व कौशल का प्रमाण हैं, बल्कि भारत को एक नई पहचान दिलाने वाले मील के पत्थर भी हैं।
पोखरण परमाणु परीक्षण दुनिया को भारत का संदेश
11 और 13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में हुए परमाणु परीक्षणों ने भारत को वैश्विक शक्ति मानचित्र पर स्थापित कर दिया। इस ऐतिहासिक घटना ने दुनिया को यह बता दिया कि भारत अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के प्रति पूरी तरह सक्षम है।
अमेरिका को चकमा एक मिशन की गाथा
पोखरण परीक्षण को गुप्त रखने के लिए अटलजी ने अद्वितीय सूझबूझ दिखाई। अमेरिकी सैटेलाइट्स की चौकसी के बावजूद यह मिशन सफल हुआ। परीक्षण की गोपनीयता बनाए रखने के लिए तत्कालीन रक्षा वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, डॉ. राजगोपाल चिदंबरम और तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने अहम भूमिका निभाई।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इस मिशन के मुख्य वास्तुकार।
डॉ. आर. चिदंबरम परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष।
जॉर्ज फर्नांडिस परीक्षण के दौरान सीमा पर सेना की तैनाती की निगरानी।
कैसे हुआ मिशन गुप्त?
वैज्ञानिकों को पोखरण ले जाने के लिए अलग-अलग नामों से ट्रांसपोर्ट किया गया।
उपकरणों को सेना के काफिले की आड़ में रेगिस्तान तक पहुंचाया गया।
परीक्षण स्थल पर काम केवल रात में किया गया।
अमेरिकी जासूसी सैटेलाइट्स के घूमने के समय का ध्यान रखकर गतिविधियां चलाई गईं।
पोखरण परीक्षण के बाद भारत दुनिया का छठा परमाणु शक्ति संपन्न देश बना। अमेरिका और अन्य देशों ने कड़े प्रतिबंध लगाए, लेकिन अटलजी ने आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लिया।
लोकसभा में एक वोट से सरकार गिरी, लेकिन लोकतंत्र की मिसाल दी
1999 में वाजपेयी सरकार को लोकसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करना पड़ा। केवल एक वोट से उनकी सरकार गिर गई, लेकिन उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों का आदर्श प्रस्तुत किया।
लोकसभा शक्ति परीक्षण की कहानी
अटलजी के नेतृत्व में एनडीए सरकार विश्वास प्रस्ताव लेकर आई। एक वोट से सरकार गिर गई, लेकिन संसद में अटलजी का भाषण लोकतंत्र की गरिमा और उनका दृढ़ संकल्प दिखाता है।
अटलजी के शब्द
“सरकारें आती हैं और जाती हैं, पार्टियां बनती हैं और बिगड़ती हैं। मगर यह देश रहना चाहिए, इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए।”
जयललिता उनकी पार्टी द्वारा समर्थन वापस लेने से सरकार गिर गई।
सोनिया गांधी विपक्ष की नेता, जिन्होंने तत्कालीन राजनीति को नई दिशा दी।
नितीश कुमार और ममता बनर्जी अटलजी के सहयोगी, जो संकट के समय साथ खड़े रहे।
भारत को विश्व मंच पर पहचान दिलाने वाले अटलजी
पोखरण और लोकसभा के ये दो घटनाक्रम अटलजी के नेतृत्व कौशल, साहस और दूरदृष्टि का परिचय देते हैं।
पोखरण भारत की सैन्य शक्ति को मजबूत किया।लोकसभा में हार लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखा।
अंतरराष्ट्रीय संबंध प्रतिबंधों के बावजूद अमेरिका सहित अन्य देशों से भारत के संबंध सुधारे।
नीतिगत स्थिरता गिरने के बाद भी अटलजी की सरकार ने देश में स्थिरता और विकास का रास्ता दिखाया।
अटलजी का सपना और उनकी विरासत
पोखरण के माध्यम से अटलजी ने विश्व को यह संदेश दिया कि भारत न केवल एक सभ्यता है, बल्कि एक ताकत भी है। उनकी सरकार भले ही एक वोट से गिरी हो, लेकिन उन्होंने यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र और राष्ट्रहित उनके लिए सर्वोपरि हैं।
एक वोट से गिरी सरकार, लेकिन पोखरण से दुनिया को दिया शक्ति का संदेश अटलजी का युगांतकारी नेतृत्व
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