कितने विभाग में छिपा है एक सौरभ शर्मा भ्रष्टाचार का असली चेहरा

कितने विभाग में छिपा है एक सौरभ शर्मा भ्रष्टाचार का असली चेहरा

परिवहन विभाग का ‘सिंडिकेट किंग सौरभ शर्मा के वसूली जाल ने खोली भ्रष्टाचार की पोल
भोपाल से एक चौंकाने वाली रिपोर्ट
परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का ऐसा जाल बिछा था, जो केवल सौरभ शर्मा नाम के रिटायर्ड कांस्टेबल तक सीमित नहीं था। यह जाल उन आरक्षित कोटे के अधिकारियों को भी शामिल करता था, जिन्हें चेक पोस्टों पर महज “दस्तखत अधिकारी” बनाकर बिठाया गया था। कहानी का केंद्र सौरभ शर्मा और उसके सहयोगियों द्वारा चलाया गया यह सिंडिकेट है, जो इस बात का उदाहरण है कि सिस्टम में घुसपैठ कर किस तरह वसूली का खेल खेला जाता है।
सौरभ शर्मा का नेटवर्क आरक्षित कोटे की ढाल
सौरभ शर्मा ने अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षित कोटे के अफसरों का इस्तेमाल एक ढाल के रूप में किया। इन अधिकारियों को रणनीतिक रूप से उन स्थानों पर तैनात किया गया जहां वसूली की गुंजाइश सबसे ज्यादा थी।
डील की शर्तें अफसरों को केवल दस्तखत करने की जिम्मेदारी दी गई। बदले में उन्हें एकमुश्त मासिक रकम  ऑफर की गई।
असली खिलाड़ी सौरभ के सहयोगी वसूली का काम करते थे। ये रकम उच्च अधिकारियों और राजनीतिक आकाओं तक पहुंचाई जाती थी।
विभागीय साजिश कैसे चुप कराए गए वरिष्ठ अफसर
जो अफसर इस धांधली पर सवाल उठाते थे, उन्हें तुरंत सरकार और शासन में बैठे रसूखदार लोगों के फोन आ जाते थे।
फर्जी नियुक्ति और सेवा निवृत्ति सौरभ की अनुकंपा नियुक्ति ही फर्जी पाई गई, और उसकी सेवा निवृत्ति भी संदिग्ध तरीके से हुई।
ब्याज का लालच कई अधिकारियों को वसूली की रकम पर ब्याज देने का लालच देकर शांत किया गया। लेकिन जब ब्याज रुक गया, तो असली लड़ाई शुरू हुई।
भ्रष्टाचार का उजागर होना आपसी रंजिश का नतीजा
यह अंदरूनी कलह और गुटबाजी का नतीजा था। जब ब्याज देने का वादा पूरा नहीं हुआ, तो आपसी खींचतान ने मामले को उजागर कर दिया। इस टसल के बाद सौरभ शर्मा के घर से भारी मात्रा में सोना, चांदी और नगद बरामद किए गए।
अधिकारियों और नेताओं का गठजोड़ मामला केवल सौरभ तक सीमित नहीं है। यह भ्रष्टाचार का एक ऐसा मॉडल है, जो दूसरे विभागों में भी फैला हो सकता है।
राजनीतिक कनेक्शन हर विभाग में ‘सौरभ शर्मा’
परिवहन विभाग का यह मामला कोई अपवाद नहीं है। अन्य विभागों में भी “सौरभ शर्मा” जैसे लोग सिस्टम को खोखला कर रहे हैं।
आरक्षित कोटे का दुरुपयोग सामाजिक न्याय के लिए बनाई गई नीतियों को भ्रष्टाचार के लिए हथियार बनाया जा रहा है।
सौरभ शर्मा का मामला सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है

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