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धर्म, आस्था और दिव्यता का महासंगम महाकुंभ 2025 में 44 दिन, 6 शाही स्नान और करोड़ों की श्रद्धा

धर्म, आस्था और दिव्यता का महासंगम महाकुंभ 2025 में 44 दिन, 6 शाही स्नान और करोड़ों की श्रद्धा

महाकुंभ 2025 भारत का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जो प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित होगा। यह आयोजन हिंदू धर्म की गहराई और आस्था का प्रतीक है।
महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ मेला हर 12 वर्षों में एक बार उन चार पवित्र स्थलों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक) में से एक पर आयोजित होता है, जहां अमृत के कुंभ से अमृत की बूंदें गिरी थीं। प्रयागराज महाकुंभ का विशेष महत्व है क्योंकि यह गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर आयोजित होता है।
कुंभ स्नान की प्रमुख तिथियां और उनका महत्व पौष पूर्णिमा (13 जनवरी 2025)
महत्व: इस दिन से आधिकारिक रूप से माघ मेले और महाकुंभ की शुरुआत होती है। पौष पूर्णिमा पर स्नान और दान का विशेष महत्व है।
विशेष आयोजन: भक्त इस दिन से संगम तट पर कल्पवास (धार्मिक साधना) की शुरुआत करते हैं।
मकर संक्रांति (14 जनवरी 2025)
महत्व: सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। यह दिन पहला शाही स्नान कहलाता है।
शाही स्नान: प्रमुख अखाड़ों के साधु और नागा साधु जुलूस के साथ पवित्र संगम में स्नान करते हैं।
आस्था: यह दिन पवित्र स्नान और धार्मिक दान-पुण्य के लिए उत्तम माना जाता है।
मौनी अमावस्या (29 जनवरी 2025)
महत्व: इसे दूसरा शाही स्नान कहा जाता है।
मौनी अमावस्या का अर्थ: मौन रहकर संगम में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं। इसे ब्रह्मा की सृष्टि का आरंभ दिवस भी माना जाता है।
विशेष: इस दिन संगम में स्नान करने लाखों भक्तों और साधु-संतों का जमावड़ा होता है।
बसंत पंचमी (3 फरवरी 2025)
महत्व: यह तीसरा शाही स्नान है। बसंत पंचमी को विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का दिन माना जाता है।
शाही स्नान का महत्व: अखाड़ों के साधु और नागा साधु इस दिन भव्य जुलूस निकालते हैं और संगम में स्नान करते हैं।माघी पूर्णिमा (12 फरवरी 2025)
महत्व: इसे पूर्णिमा तिथि पर संगम में स्नान और दान-पुण्य के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन चंद्रमा अपने पूरे तेज में होता है, जो ऊर्जा और शुद्धता का प्रतीक है।
विशेष: संगम तट पर प्रवचन और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
महाशिवरात्रि (26 फरवरी 2025)
महत्व: महाकुंभ का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण स्नान दिवस।
आस्था: शिव भक्त इस दिन संगम में स्नान कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
विशेष स्नान: इसे महाकुंभ का समापन स्नान भी कहा जाता है
शाही जुलूस: अखाड़ों के साधु-संत भव्य शोभायात्रा निकालते हैं, जिसमें उनकी परंपराओं और संस्कृति की झलक मिलती है।
धार्मिक प्रवचन और कथा: प्रमुख संत और धर्मगुरु अपने उपदेशों के माध्यम से भक्तों को धर्म और जीवन के सार की व्याख्या करते हैं
आयोजन स्थल: प्रयागराज संगम क्षेत्र को विशेष रूप से सजाया जाएगा। स्नान घाट, टेंट सिटी, और विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
महाकुंभ में भाग लेने के लिए आवश्यक तैयारी
रजिस्ट्रेशन: संगम में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को पहले से ऑनलाइन या ऑफलाइन पंजीकरण कराना होगा।
स्वास्थ्य और सुरक्षा: सरकार द्वारा तीर्थयात्रियों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा प्रबंध किए जाएंगे।
आवागमन: रेलवे, बस, और हवाई सेवा के माध्यम से प्रयागराज को अन्य शहरों से जोड़ा जाएगा।
महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, यह भारतीय संस्कृति और आस्था का सबसे बड़ा पर्व है। लाखों लोग इसे देखने और भाग लेने आते हैं, जिससे यह एक वैश्विक आकर्षण बन जाता है।

फाइल फोटो

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