पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के नाती आकाश गौर के साथ हुए साइबर फ्राॅड की घटना ने भोपाल और प्रदेश की साइबर सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में भोपाल साइबर क्राइम ब्रांच ने एक ठग के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिसने धोखाधड़ी का सहारा लेते हुए आकाश गौर को तीन लाख उन्नीस हजार रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब आकाश गौर को एक व्यक्ति ने महिंद्रा कंपनी में लेबर सप्लाई और ट्रांसपोर्ट का ठेका दिलाने का झांसा दिया। इस जालसाज ने आकाश गौर को विश्वास में लिया और उनसे इस ठेके को पक्का करने के लिए तीन लाख उन्नीस हजार रुपये की मांग की। आकाश गौर ने ठेके की उम्मीद में इस राशि को भुगतान कर दिया। लेकिन बाद में पता चला कि यह व्यक्ति एक साइबर क्रिमिनल था, जिसने ठेके के बहाने से उन्हें धोखा दिया।
इस ठगी की घटना में अपराधी ने जिस बैंक खाते का इस्तेमाल किया, उसमें खाता खोलने के लिए डीएसपी साइबर क्राइम के नाम से बनाई गई एक नकली ईमेल का उपयोग किया। इस ईमेल के माध्यम से खाता खोलने का उद्देश्य था कि लोग इस पर आसानी से भरोसा कर लें, क्योंकि डीएसपी साइबर क्राइम की फर्जी पहचान से लगने लगता है कि यह किसी सरकारी अधिकारी का खाता हो सकता है।
भोपाल साइबर क्राइम ब्रांच की कार्रवाई
जब आकाश गौर को एहसास हुआ कि वह धोखाधड़ी का शिकार हो गए हैं, तो उन्होंने तुरंत भोपाल साइबर क्राइम ब्रांच से संपर्क किया। मामले की जांच करते हुए साइबर क्राइम ब्रांच ने फर्जीवाड़े में इस्तेमाल की गई बैंक अकाउंट और ईमेल आईडी की जांच शुरू की। इस जांच में यह पता चला कि जालसाज ने जानबूझकर डीएसपी साइबर क्राइम के नाम से फर्जी ईमेल आईडी बनाई थी ताकि वह अपनी पहचान छुपा सके और भरोसेमंद लगे।
आकाश गौर, जो मंत्री कृष्णा गौर के बेटे और बाबूलाल गौर के नाती हैं, ने घटना के बारे में कहा कि उन्होंने आरोपी पर विश्वास कर राशि का भुगतान किया था। उन्हें यह नहीं पता था कि यह व्यक्ति उन्हें धोखा दे सकता है। उन्होंने साइबर अपराध की शिकायत दर्ज कराई और मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की।
समाज पर असर और सुरक्षा की आवश्यकता
आकाश गौर जैसे प्रतिष्ठित परिवार के व्यक्ति के साथ हुई इस ठगी ने समाज में साइबर सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है। यह घटना इस बात का संकेत देती है कि आज के समय में साइबर अपराधियों ने अपने तरीकों को बहुत ही परिष्कृत और वास्तविक बना दिया है, जिससे आम लोगों के साथ-साथ समाज के प्रतिष्ठित लोगों को भी धोखे में डाल सकते हैं। इस प्रकार की घटनाएं इस बात पर जोर देती हैं कि साइबर सुरक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देने की सख्त आवश्यकता है।
साइबर क्राइम रोकने के सुझाव जागरूकता बढ़ाना – साइबर अपराध के प्रति लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। लोगों को यह बताया जाना चाहिए कि बैंक खाते से जुड़े व्यक्तिगत जानकारी, पासवर्ड, और अन्य संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित रखें।
साइबर सुरक्षा नियमों का पालन करना – इंटरनेट का उपयोग करते समय, वेबसाइट्स और ऑनलाइन सेवाओं की विश्वसनीयता की पुष्टि करना आवश्यक है। यदि किसी ईमेल या लिंक पर संदेह होता है तो उसे खोलने से बचें।
साइबर अपराध की जानकारी देना – अगर कोई साइबर क्राइम का शिकार होता है, तो उसे तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम ब्रांच में रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए। इससे पुलिस को अपराधी तक पहुँचने में मदद मिल सकती है।
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