हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के एक दौरे के दौरान उनके लिए लाए गए नाश्ते के समोसे और केक का मामला अब बड़ा विवाद बन गया है। मुख्यमंत्री के दौरे पर उनके लिए विशेष नाश्ता तैयार किया गया था, लेकिन जब यह नाश्ता मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंचा और उनके स्टाफ को परोसा गया, तो इसे गंभीरता से लिया गया। इस घटना को सरकार विरोधी कृत्य मानते हुए हिमाचल प्रदेश की सीआईडी ने जांच के आदेश दिए हैं।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का यह दौरा राज्य के कुछ क्षेत्रों में योजनाओं की समीक्षा के लिए था। उनके इस दौरे के दौरान उनके लिए विशेष नाश्ते का इंतजाम किया गया, जिसमें समोसे और केक भी शामिल थे। परंतु, जब मुख्यमंत्री को यह नाश्ता नहीं मिला और उनकी टीम के स्टाफ ने इसे परोसा गया, तो इस मामले को गंभीरता से लिया गया। इसके बाद सीआईडी ने इस पूरे घटनाक्रम की जांच के आदेश दिए हैं।
घटना पर सीआईडी का रुख
सीआईडी ने इसे एक “सरकार विरोधी कृत्य” करार दिया है और जांच के आदेश जारी किए हैं। सीआईडी का मानना है कि यह घटना सुरक्षा और प्रोटोकॉल उल्लंघन से जुड़ी हो सकती है, क्योंकि मुख्यमंत्री के लिए तैयार किया गया भोजन उनके पास नहीं पहुंचा।
बीजेपी का रुख
इस मामले को लेकर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सरकार पर कटाक्ष किया है। बीजेपी ने कहा कि मुख्यमंत्री को राज्य के अन्य गंभीर मुद्दों की बजाए अपने नाश्ते की चिंता है। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य के संसाधनों को इस तरह की मामूली जांचों पर व्यर्थ किया जा रहा है, जबकि हिमाचल प्रदेश में कई गंभीर मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
राजनीतिक विवाद
बीजेपी ने इस मुद्दे को राजनीति का हिस्सा बना लिया है और यह दावा किया है कि मुख्यमंत्री अपनी प्राथमिकताओं में आम जनता की समस्याओं को दरकिनार कर रहे हैं। उनके अनुसार, हिमाचल प्रदेश में बेरोजगारी, सड़कें, बिजली, पानी जैसी बुनियादी समस्याएं हैं, जिन पर ध्यान देना अधिक जरूरी है, लेकिन सरकार नाश्ते जैसी मामूली घटना पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
सोशल मीडिया और स्थानीय समाचार चैनलों पर जनता की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ लोगों ने सीएम के लिए इस तरह की जांच को महत्वहीन मानते हुए आलोचना की, जबकि कुछ ने इस घटना को सुरक्षा का उल्लंघन मानते हुए सरकार का समर्थन किया है।
यह मामला मुख्यमंत्री के लिए लाए गए नाश्ते से जुड़ा होने के बावजूद राजनीतिक और प्रशासनिक तौर पर महत्वपूर्ण बन गया है। यह घटना हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक नए विवाद का रूप ले चुकी है, और सीआईडी की जांच के बाद इसके आगे क्या परिणाम निकलते हैं, यह देखने योग्य होगा।
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