सतना के दर्जन भर डीएड बीएड कॉलेज भी रडार पर
सतना। नर्सिंग कॉलेज संबंधी जांच के लिए सीबीआई की टीम इन दिनो सतना के सर्किट हाउस में डेरा डाले हुए है। उक्त संबंध मे उच्च न्यायालय ने पूर्व की रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा पाया था तथा पुनः जांच के निर्देश दिए थे। सीबीआई की टीम पिछले सप्ताह भर से दस्तावेज, गाइडलाइन और पालन संबंधी बिंदुओं की प्रतिपूर्ति खंगाल रही है तो वहीं प्राइवेट कालेज संचालकों की सांस फूली हुई है। दरअसल ज्यादातर प्राइवेट संचालक माफिया प्रवृत्ति के हैं जिन्हें शिक्षा और शिक्षा की नीति से कोई लेना देना नहीं, वह केवल पैसे का दुरुपयोग कर फर्जीवाडे के आधार पर मान्यता लेना और फिर उस पैसे के बदले कई गुना पैसा छापना जानते हैं। सूत्रों के मुताबिक शुरुआती जांच में ही सीबीआई को भारी गड़बड़ी देखने को मिली है जिन्हें बिंदुवार संकलित किया जा रहा है जिससे कई प्राइवेट कालेज संचालक, प्रबंधक और प्राचार्य जैसे महत्वपूर्ण पदाधिकारी अपने आप को सलाखों के पीछे देखने लगे हैं।
डीएड बीएड कॉलेजो ने किया महाघोटाला
सूत्रों की माने तो डीएड बीएड कॉलेज संचालकों ने पूरे मध्य प्रदेश और खासकर सतना जिले में नियमों की अवहेलना और भ्रष्टाचार की सारी सीमा पार कर रखी है। डीएड बीएड कॉलेज की मान्यता, स्टाफ, प्रवेश, स्कॉलर आदि से संबंधित करीब बीस से अधिक बिंदुओं की जांच का पुलिंदा भी सीबीआई के पास है जिसे पिछले महीनों से शिकायतकर्ताओं द्वारा की गई शिकायत से जोड़कर देखा जा रहा है तो दूसरी ओर कुछ सूत्रों का कहना है कि उक्त जांच भी सीबीआई न्यायालय के निर्देश पर ही कर रही है। ज्ञात हो सतना जिले में डीएड और बीएड के कुछ कॉलेज ऐसे खुले हैं जो वास्तव में है ही नहीं यानी झोला और मोबाइल में चल रहे हैं तो कुछ कॉलेज ऐसे भी हैं जो मान्यता किसी दूसरी जगह के नाम पर ले रखे हैं तथा सिटी ऑफिस के नाम पर दूसरी जगह कॉलेज चला रहे हैं। जिले के 80% से अधिक कॉलेज एनसीटीई और उच्च शिक्षा विभाग की गाइडलाइन में खरे नहीं उतर पा रहे हैं। मैहर, अमरपाटन, कोठी, चित्रकूट सहित सतना के कुछ महाविद्यालय सीबीआई के सीधे रडार में माने जा रहे हैं।
प्राप्त जानकारी अनुसार उमारमण कॉलेज कोठी, रावतपुरा सरकार कॉलेज चित्रकूट, मां शारदा प्रोफेशनल स्टडीज अमरपाटन, गुरुकुल कॉलेज अमरपाटन, मां शारदा कॉलेज मौहारी कटरा, मनोज जैन मेमोरियल कॉलेज सतना, राधा कृष्ण मीरा कॉलेज रामपुर, रविशंकर कालेज चित्रकूट सहित दर्जन भर डीएड बीएड कालेजों द्वारा फर्जी आधार पर मान्यता प्राप्त करने, फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति दिखाकर चौकीदार और चपरासी से कॉलेज चलवाने, शुल्क वसूल कर छात्रों को भगवान भरोसे छोड़ देने, बिना नियमित उपस्थिति और कॉलेज लगने के ही फर्जी पीएमएस स्कॉलरशिप और आवास स्कालरशिप दिलाने, बाहरी राज्यों के अवैध प्रवेश लेकर फर्जी उपस्थिति एवं बिना सीसीई प्रैक्टिकल परीक्षा के फर्जी अंक चढ़ाने, फर्जी डाइस कोड भरकर परीक्षा फॉर्म अग्रेषित करने, फर्जी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र बनाने, फर्जी अंक सूची छापने सहित अनेक गंभीर शिकायतों का पुलिंदा सीबीआई के पास है। अनुमान लगाया जाता है अगर जांच जारी रही तो दर्जन भर से अधिक संचालक, प्रबंधक और फर्जी प्राचार्य का जेल जाना सुनिश्चित है।
छात्रों का कर रहे भविष्य चौपट
शिक्षा के मंदिर की आड़ में माफिया गिरी कर रहे कॉलेज दलाल अथवा अन्य माध्यमों से चिकनी चुपड़ी बातें, प्रलोभन देकर सीट भरने में कामयाब हो जाते हैं किंतु बाद में सभी छात्रों से मोटी रकम वसूल कर उन्हें चौकीदार के हवाले कर दिया जाता है, एकमात्र लक्ष्य शुल्क वसूली को ही कॉलेज चलाना मानकर बेशर्मी पूर्वक धाक से कॉलेज चलाए जा रहे हैं। अगर कोई छात्र नियमित कक्षा लगाने, यूजीसी एनसीटीई की गाइडलाइन के शिक्षकों द्वारा पढ़ाई करवाए जाने को लेकर अनुरोध करता है तो उसे फेल कर देने की धमकी देने हेतु कॉलेज बदनाम हैं। ज्यादातर कॉलेजों के पास गाइडलाइन की बिल्डिंग नहीं है किंतु जिनके पास कुछ कमरे है भी वे उसका दुरुपयोग धान गेहू भूसा बालू गिट्टी सीमेंट रखने किराया से उठाने जैसे अन्य अवैध कार्यों में कर रहे हैं करीब करीब ज्यादातर कॉलेज के पास लैब लाइब्रेरी सहित बिल्डिंग नहीं है।
नप सकती है एपीएस विश्वविद्यालय की निरंतरता संबद्धता समिति
सभी महाविद्यालयो को यूजीसी एनसीटीई और उच्च शिक्षा विभाग के बाद विश्वविद्यालय द्वारा भौतिक निरीक्षण और सत्यापन के बाद मान्यता दी जाती है जिसे हर वर्ष निरंतरता के समय भौतिक सत्यापन के जरिए प्रमाणित किया जाता है किंतु विश्वविद्यालय द्वारा भेजे गए समिति द्वारा लिफाफा लेकर फोटो खिंचवाने की औपचारिकता और सब कुछ सही है की प्रवृत्ति से ही प्राइवेट कॉलेज द्वारा इतने बड़े महाघोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। आज तक विश्वविद्यालय की समिति ने धारा कोड 28 के शिक्षकों को नहीं देखा और ना ही किसी लैब के दीदार किए। अब संभावना जताई जा रही है किसी सीबीआई की पकड़ में विश्वविद्यालय समिति की गर्दन भी होगी।
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